कहा जाता है “जिंदगी का मज़ा तो वो लोग ही लेते है जो अपना जीवन अपने लिए नहीं दूसरों के लिए न्योछावर कर देते हैं।”। लेकिन किसी और के लिए अपनी जिंदगी जीना बहुत मुश्किल होता है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं, ऐसा करने वाली एक महिला जिन्हें हम आज ‘मदर टेरेसा’ के नाम से जानते है। इन्होने अपनी जिंदगी को औरों की सेवा में लगा दिया था, शायद यही वजह है की इन्हें एक माँ का दर्जा दिया जाता है। आज हम आपको (About Mother Teresa in Hindi) Mother Teresa की Hindi में जीवनी (Biography) बताने वाले हैं।
आपको मदर टेरेसा के जीवन से रूबरू करवाने वाले हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में कौन-कौनसे पड़ाव देखें उनके बावजूद उन्होंने अपना कर्तव्य नहीं छोड़ा। आपके जीवन को एक नई दिशा मिल सकती है मदर टेरेसा की जीवनी को पढकर इसलिए अपना थोड़ा सा समय कुछ अच्छे लोगों को पढने में लगायें।
मदर टेरेसा का जीवन परिचय – Mother Teresa life introduction
(About Mother Teresa in Hindi)
वास्तविक नाम | अग्नेसे गोंझा बोंजशियु |
उप नाम | कलकत्ता की सेंट टेरेसा, संत, मदर टेरेसा, सिस्टर टेरेसा एंव सिस्टर मैरी |
जन्म दिनांक | 26 अगस्त 1910 |
जन्म स्थल | उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्तमान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) |
पिता | निकोला बोयाजू |
माता | द्राना बोयाजू |
परिवार | भाई – लाजर बोयाजू बहन – अगा बोयाजू |
मृत्यु दिनांक | 5 सितंबर 1997 |
मृत्यु स्थल | कलकत्ता (वर्तमान में कोलकत्ता), पश्चिम बंगाल, भारत |
नागरिकता | उस्मान प्रजा (1910–1912)
सर्बियाई प्रजा (1912–1915) बुल्गारियाई प्रजा (1915–1918) युगोस्लावियाइ प्रजा (1918–1943) यूगोस्लाव नागरिक (1943–1948) भारतीय प्रजा (1948–1950) भारतीय नागरिक (1948–1997) अल्बानियाई नागरिक (1991–1997) |
गृह नगर | सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य |
शैक्षिक योग्यता | आयरलैंड के राथफर्नहम में लोरेटो एबे में अंग्रेजी सीखी |
धर्म | ईसाई |
व्यवसाय | अल्बानियाई रोमन कैथोलिक नन और मिशनरी |
अभिरुचि | असाहय लोगों की मदद करना |
वैवाहिक स्थिति | नहीं |
मदर टेरेसा प्रारंभिक जीवन – Mother Teresa early life (About Mother Teresa in Hindi)
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 2010 को स्कॉप्जे यानि मसेदोनिया की राजधानी में हुआ। टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था, इनकी माता का नाम द्राना बोयाजू था। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अग्नेसे गोंझा बोंजशियु’ था। यह पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी। हालाँकि इनके दो भाई-बहन इनके जन्म के वक्त इस दुनिया में नहीं थे।
अल्बेनिया भाषा में गोंझा का अर्थ होता है ‘फुल की कलि’ अब आप समझ सकते हैं की मदर टेरेसा एक ऐसी ही फुल की कलि थी जिन्होंने पुरे विश्व में अपनी खुशबू बिखेरी थी।
मदर टेरेसा के अनुसार उन्हें गाने का बहुत शौंक था यही वजह थी की वह अपने घर के नजदीक गिरजाघर की मुख्य गायिका थी। उनकी बहन और वह हमेशा गिरजाघर में गाया करती थी। वह उस समय 12 साल की थी तभी उन्होंने निश्चय कर लिया था की वह अपना जीवन लोगों की भलाई में समर्पित कर देगी।
भारत आने के लिए छोड़ दिया अपना घर – Left his home to come to India -(About Mother Teresa in Hindi)
मदर टेरेसा को भारत से एक ख़ास लगाव था, वह भारत आना चाहती थी, इसलिए उन्होंने 18 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़कर आयरलैंड स्थित ‘सिस्टर्स ऑफ लोरेटो’ का हिस्सा बन गई और यहाँ उन्होंने इंग्लिश सीखनी शुरू करी। क्योंकि लोरेटो की सिस्टर्स यहीं से भारत में बच्चों को पढाने के लिए आती थी।
यहाँ उन्होंने खूब मन लगाकर पढाई की और यहीं से उन्हें सिस्टर मैरी का नाम मिला। आयरलैंड से 6 जनवरी 1929 को मदर टेरेसा कलकत्ता यानि भारत पहुंची। यहाँ उन्होंने ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ में पढाना शुरू किया। एक अनुशासित शिक्षिका होने के कारण बच्चे इनसे स्नेह रखने लगे और 20 वर्ष में सिस्टर मैरी ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ की अध्यक्ष (हैडमिस्ट्रेस) बन गई।
गरीबी, लाचारी और हिन्दू-मुस्लिम दंगो ने मदर टेरेसा के जीवन को बदल दिया – Poverty, helplessness and Hindu-Muslim riots changed the life of Mother Teresa
मदर टेरेसा बच्चों को पढ़ाने में रम गई थी, लेकिन उनके जीवन में तब बदलाव आया जब बंगाल में आकाल की वजह से बहुत लोगों की मृत्यु हो गई। 1943 का यह समय बहुत भी भयानक था। लोग गरीबी के कारण मरने लगे तो कुछ लोग अनेक तरह के रोगों से मरने लगे।
मदर टेरेसा का मन पढाई में नहीं लग पा रहा था। उसी समय 1946 में हिन्दू-मुस्लिम दंगा हुआ और सब कुछ बदल गया। कोलकत्ता शहर उस समय पूरी तरह से तबाह होने की कगार पर था। उस समय सिस्टर मैरी (मदर टेरेसा) ने जाति-धर्म से उपर उठकर इंसानियत दिखाई और अनेक लोगों की मदद की, उन्होंने गरीबों के लिए अन्न दिया, रोगियों का ईलाज करवाया और बूढों की मदद करने लगी।
मदद के लिए पैसा नहीं था मदर टेरेसा के पास – Mother Teresa had no money to help -(About Mother Teresa in Hindi)
गरीब, लाचार और रोगियों की मदद करने के लिए मदर टेरेसा ने ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ में काम करना छोड़ दिया था। यही वजह थी की उनके पास अब पैसा खत्म होने लगा था, अब वह किसी की मदद नहीं कर पा रही थी।
उस समय उन्होंने अपना एक ग्रुप बनाया और लोगों की मदद के लिए लोगों को प्रेरित करने लगी। 7 अक्टूबर 1950 में उन्हें वैटिकन से ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना करने की अनुमति मिल गई थी। इस चैरिटी का मकसद था भूखों को रोटी देना, कपड़े देना, रोगियों की सेवा करना, अनाथों को आसरा देना एंव ऐसे लोगों की मदद करना जिन्हें इस समाज में जगह नहीं दी जा रही थी। उस वक्त ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की शुरुआत सिर्फ 13 लोगों द्वारा की गई थी।
निर्मल ह्रदय और निर्मल शिशु भवन आश्रम की शुरुआत – Nirmal Heart and Nirmal Shishu Bhavan Ashram started
मदर टेरेसा को उस समय तक कुछ ख़ास पहचान नही मिली थी लेकिन अपने प्रयासों से उन्होंने निर्मल हृदय और निर्मल शिशु भवन आश्रम की शुरुआत करी। निर्मल हृदय आश्रम में अंधे, लूले, गूंगे, पागल एंव बेसहारा लोगों को रखा गया और निर्मल शिशु भवन में अनाथ बच्चों को रखा गया जहाँ उन्हें पढाई करवाई जाती थी।
उनके इस कार्य को सरकार के लोगों ने देखा और उनकी मदद के लिए आगे आए। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपनी अनेक संस्थाएं बनाई और गरीब असहाय लोगों की मदद करने लगी।
मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने विश्व में अपनी पहचना बनाई – Missionaries of Charity made their mark in the world -(About Mother Teresa in Hindi)
मदर टेरेसा के प्रयास से उस समय मिशनरीज की 123 देशों में अपनी संस्था बनाई और इसमें 4000 सिस्टर्स शामिल हो गई। यह समय 1997 का था जब मदर टेरेसा ने पुरे विश्व में अपनी एक खाश छवि बना ली थी। आज भी मदर टेरेसा की बनाई गई संस्था अपना कार्य कर रही है। सरकार के लोगों ने उनकी मदद करी।
मदर टेरेसा की मृत्यु – Death of mother Teresa
मदर टेरेसा ने जो अपने आप से वादा किया था की वे जिंदगी भर लोगों की मदद करती रहेगी उन्होंने यह वादा अपनी मृत्यु तक निभाई। उन्हें तीन हार्ट अटैक आये थे, 1983 में 77 वर्ष की आयु में उन्हें पहली बार हार्ट अटैक आया उसके बाद 1989 में दूसरा हार्ट अटैक आया और तीसरी बार निमोनिया की वजह से उनके दिल की धडकने रुक गई। उनकी मृत्यु 5 सितंबर 1997 में कोलकत्ता में हुई थी। उस समय तक उन्हें ‘मदर टेरेसा’ की उपाधि मिल गई थी।
मदर टेरेसा को मिले अवार्ड – Mother Teresa received the award -(About Mother Teresa in Hindi)
मदर टेरेसा के कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1962 में ‘पद्मश्री’ दिया, उसके बाद ‘भारत रत्न’ देकर 1980 में उन्हें सम्मानित किया। अमेरिका ने उन्हें ‘मेडल ऑफ़ फ्रीडम’ से 1980 में सम्मानित किया। उन्हें 1979 में नॉबल शान्ति पुरस्कार भी मिला। उन्हें नॉबल पुरस्कार में मिली धन राशि करीब 192,000 डॉलर गरीबों के कल्याण के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया था।
मदर टेरेसा के बारें में रोचक बातें – Interesting things about Mother Teresa In Hindi
- मदर टेरेसा 18 वर्ष की आयु में अपने घर से निकली थी, उसके बाद उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में कभी अपने घर वालों को नहीं देखा।
- वह भारत में गरीबों की हालत देखकर रो देती थी, उनके हृदय में दया का भाव था। यही वजह है की उन्होंने भारत में अपनी जिंदगी का बहुत सा हिस्सा बिताया।
- उनके पास अनेक देशों की नागरिकता थी, लेकिन उन्होंने भारत की नागरिकता मिलने पर बहुत ज्यादा ख़ुशी जताई थी।
- उनपर अनेक तरह के धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप लगे थे, लेकिन उन्होंने कभी धर्म के अनुसार किसी की मदद नहीं की, वह जनसेवा को ही अपना धर्म मानती थी।
- नीली पट्टी वाली सफेद साड़ी उन्होंने पहली बार 17 अगस्त 1948 को पहनी थी। उसके बाद उनकी पहचान का हिस्सा बन गई थी।
- उन्होंने अपने जीवन को लोगों की मदद के लिए समर्पित कर दिया था।
- उनके जीवन पर अनेक फ़िल्में बन चुकी है।
- उन्हें संत की उपाधि भी मिल चुकी है।
- माँ की उपाधि उन्हें भारत में मिली उसके बाद उन्हें मदर टेरेसा के नाम से पहचाना जाने लगा।
- उन्होंने किसी की मदद करते वक्त उसका धर्म कभी नहीं पूछा वह धर्म निरपेक्षता से लोगों की मदद करती थी। हालाँकि उन्हें अक्सर ईसाई होने पर आलोचना का सामना करना पड़ा था।
मदर टेरेसा के अनमोल विचार – Mother Teresa’s Thoughts in Hindi – (About Mother Teresa in Hindi)
यह कुछ अनमोल विचार है जो मदर टेरेसा की जीवनी में लिखे मिलते है, इन्हें पढ़कर हम यह अंदाजा लगा सकते हैं की मदर टेरेसा की सोच कैसी थी। उनकी जिंदगी में वह किन्हें सबसे ज्यादा महत्व देती थी। वह हमारे देश में आकर हमारे लिए क्या कर रही थी। यह अनमोल शब्द हम बिना किसी बदलाव के यहाँ लिख रहे हैं।
- मैं चाहती हूँ कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हैं?
- यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित हैं।
- यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो कम से कम एक को ही करवाएं।
- यदि आप प्रेम संदेश सुनना चाहते हैं तो पहले उसे खुद भेजें। जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।
- अकेलापन सबसे भयानक ग़रीबी है।
- अपने क़रीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।
- अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है।
- प्रेम हर मौसम में होने वाला फल है, और हर व्यक्ति के पहुंच के अन्दर है।
- आज के समाज की सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है, बल्कि अवांछित रहने की भावना है।
- प्रेम की भूख को मिटाना, रोटी की भूख मिटाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।
- अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का पुल है।
- सादगी से जियें ताकि दूसरे भी जी सकें।
- प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खोने के सामान है।
- हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।
- हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।
- यह महत्वपूर्ण नहीं है आपने कितना दिया, बल्कि यह है की देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।
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निष्कर्ष
हमने यहाँ पर Mother Teresa के जीवन को Hindi (About Mother Teresa in Hindi) में आपको समझाने की कोशिश की है। मदर टेरेसा की जीवनी हमें प्रेरित करती है की अपने जीवन में क्या उद्देश्य होना चाहिए। हमारे दिल में दया-भाव होना कितना आवश्यक है। मदर टेरेसा ने अपना सम्पूर्ण जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। उन्होंने अनेक देशों में सेवाएं दी थी, लेकिन सबसे ज्यादा समय उन्होंने भारत में बिताया यही वजह है की भारत का हर इंसान उन्हें हमेशा दिल से याद करता है।
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