दोस्तों आप ओर हम हर रोज़ इंटरनेट का उपयोग करते है। वैसे तो इंटरनेट एक ऐसी Service है, जिसे हम कई प्रकार से access कर सकते है उसमें मुख्यतः ब्रॉडबैंड , ओर wifi होता है। क्या आपको पता है कि wireless application protocol क्या है और यह कैसे काम करता हैं । अगर आप इस WAP को समझना चाहते है तो इस लेख को आखिर तक पढ़े ताकि आप इसके बारे में समझ सके।
प्रोटोकॉल क्या है (What is Protocol in Hindi)
Protocol एक तरह के “set of rules” ( सेट आँफ रूल ) है, जो digital communication में इस्तेमाल किये जाते है। Protocol के द्वारा ही यह तय होता है कि computer network पर data कैसे transmit ( स्थानांतरित ) होगा और कैसे receive (प्राप्त ) होगा। Computing में protocol को एक digital language भी कहा जाता है।
इनके बिना हम internet पर एक दूसरे से सवांद ( Conversation ) नही कर सकते ना ही data को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक transfer ( स्थानांतरित ) कर सकते है। Internet पर हमारे द्वारा भेजी गई कोई file अथवा mail इसी internet protocol के अनुसार कार्य करते है।
Network Kya hai? ( नेटवर्क क्या है )
दोस्तों आज के अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको Network के प्रकार जैसे- LAN, MAN, WAN, GAN SAN, CAN, PAN आदि Network के बारें में जानेंगे कि ये Network कहां पर प्रयोग किये जातें है। साथ ही आपको हमारे इस लेख मे माध्यम से Wireless Application Protocol के बारे मे भी बताया जायेगा।
हमारें देश में बहुत से लोग Internet को Use करतें है। लेकिन उन्हें तक भी नही पता होता है। कि आखिर Internet कैसे चलता है। इसका तो कोई Mediam होगा जो कि हमें सभी प्रकार की जानकारी से अवगत कराता है। तो इसी प्रकार की जानकारी को आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
Wireless Application Protocol in Hindi ( वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल हिंदी में )
अगर आप इंटरनेट का उपयोग करते है, तो आपको पता होगा कि इंटरनेट के कनेक्शन को कंप्यूटर या लैपटॉप से जोड़ने के लिए कई तरह की केबल की आवश्यकता होती है ओर उतना ही जरूरत होती है उन केबल को manatain करने की।
अगर आप कंप्यूटर या लैपटॉप में ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट चलते है तो आपको इसके connection की जटिल प्रक्रिया के बारे में पता होगा। wireless application protocol ठीक उसका उल्टा हैं।
WAP इंटरनेट और मोबाइल या लैपटॉप के बीच की एक डोर होती है जिसकी मदद से आप आसानी से इंटरनेट को कनेक्ट कर सकते हैं।
WAP रेडियो की तरंगों के साथ काम करता है जिसमे आपको यह सुविधा मिलती है कि आप WIFI के मोडम को कुछ निच्छित दूरी पर स्थापित कर सकते है और उससे मोबाइल या लैपटॉप को रेडियो तरंगों के माध्यम से जोड़ सकते हैं।
Wireless application protocol में केवल wifi internet ही नही इसके अलावा और भी कई सुविधाओं का इस्तेमाल आप कर सकते हैं। WAP एक प्रकार का डिवाइस होता है जो कि आपको सुविधा देता है बिना ज्यादा वायरिंग के कनेक्शन के।
WAP में जिस डिवाइस का इस्तेमाल करते है उसे ROUTER के नाम से जानते हैं। आसान भाषा मे कहा जाए तो WAP का इस्तेमाल मोबाइल में इंटरनेट चलाने के लिए किया जाता हैं। WAP को मुख्यतः मोबाइल में इंटरनेट CONNECTIVITY के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Wireless application protocol की खोज ( Founded of wireless application protocol )
Wireless application protocol की सवर्प्रथम खोज 1998 में Ericson, Motorola, Nokia द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिसका उद्देश्य था protocol के जरिये एक बेहतर wireless technology बनाना। WAP को 1998 में डिज़ाइन किया गया था परंतु इसको 2002 में अस्तित्व में लाया गया।
Wireless Application प्रोटोकॉल के लाभ ( Benefits of Wireless Application Protocol )
WAP का इस्तेमाल आज के समय आप ओर हम रोजाना मोबाइल में इंटरनेट चलते है पर क्या आपको है की मोबाइल में WAP से इंटरनेट CONNECT करने के क्या फायदे है। तो चलिए देखते हैं।
- आसान connectivity – WAP के आने से मोबाइल में इंटरनेट की CONNECTVITY काफी आसान हो गई है। आपको मोबाइल में नेट का इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ राऊटर के माध्यम से मोबाइल में इंटरनेट कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती हैं। उसके बाद आपका नेट काफी आसानी से चल जाता हैं।
- जल्दी समाधान – मोबाइल में WAP के माध्यम से आप अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को मेल भेज सकते है, उन्हें मैसेज कर सकते है, उनसे बात कर सकते हैं। WAP राऊटर ओर रेडियो तरंगों के माध्यम से काम करता हैं। यह काफी अच्छा और आसान तरीका हैं। अगर आप WAP ओर मोबाइल में इन सब का उपयोग करते है तो आपकी के समस्याओं का समाधान आसानी से मिल सकता हैं।
- मोबेलिटी – Wireless Application Protocol के जरिये आसानी से आसानी से ई-मेल, मैसेज इत्यादि भेजे जा सकते है। एक प्रकार का डिवाइस होता है जो बिना वायरिंग के रेडियों रेज पर कार्य करता है।
- दाम – WAP का मूल्य से भी कम होता है ओर इसे मैनटेन करना भी आसान होता है।
- आसानी – एक Wireless डिवाइस को मैनेज करना एक केबल नेटवर्क से ज्यादा आसान होता है।
Wireless application प्रोटोकॉल की हानियाँ ( Disadvantage of wireless application protocol )
जिस तरह एक WAP के लाभ होते है वैसे भी इसकी कुछ हानियाँ भी होती है। कही न कही सिक्योरिटी के नज़रिये से यह थोडा रिस्की शाबित हो सकता है। की कुछ हानियाँ हो इस प्रकार है।
- सुरक्षा – अगर सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाये तो एक WAP काफी हानिकारण होता है। क्योंकि एक WAP या यू कहे एक नेटवर्क प्राइवेट भी हो सकता है तो वही एक नेटवर्क पब्लिक भी, जो नेटवर्क पब्लिक होता है उसमे डाटा वायरल होने का खतरा ज्यादा होता है।
- इंटरफेश – एक वायरलैस नेटवर्क का इंटरफेश अन्य डिवाईसो मे प्रकाश के माध्यम से संचालित होता है। एक वायरलैस नेटवर्क का इंटरफेश कोई निश्चित नही होता, यह हर डिवाइस के माध्यम से बदलता रहता है।
- अस्थाई कनेक्शन – एक वायरलैस नेटवर्क एक केबल नेटवर्क के मुकाबले अस्थाई होता है। अगर आप केबल नेटवर्क से इसका मुकाबला करेंगे तो आप देखेंगे की यह काफी ज्यादा अस्थाई है एक केबल नेटवर्क के मुकाबले।
- गति – एक वायरलैस नेटवर्क की गति की बात करे तो यह काफी कम होती है एक केबल नेटवर्क के मुकाबले, अगर आप इन दोनो नेटवर्क के प्रकारो की तुलना करेंगे तो आप पायेंगे की एक वायरलैस नेटवर्क की गति काफी कम होती एक केबल नेटवर्क के मुकाबले।
Wireless Network के प्रकार ( Types of wireless Network)
एक वायरलैस नेटवर्क को हम कई अन्य भागों मे बांट सकते है वो भी उनकी विशेषताओं के अनुसार, वायरलैस नेटवर्क के कुछ प्रकार है जो निम्न है।
- WPAN ( Wireless personal area network )
- WLAN ( Wire Local Area Network )
- W Mesh Network ( Wireless Mersh Network )
- WMAN ( Wireless Metropolitan Access Network )
- WWAN ( Wireless wide area network)
- GAN ( Geographical Area Network )
- Space Network
- WPAN – एक प्रकार का प्राइवेट पर्सनल एरिया नेटवर्क होता है। इस प्रकार का नेटवर्क ब्लूटूथ मे इस्तेमाल होता है जो 10 मीटर की सीमा के अन्दर एक डिवाइस को दूसरे डिवाइस के संचार की अनुमति देता है। इस प्रकार की तकनीक केवल ब्लूटूथ मे ही इस्तेमाल होती है।
- WLAN – इसका पूरा नाम वायरलैस लोकल एरिया नेटवर्क है। इस प्रकार के नेटवर्क बिना किसी कनेक्शन के बात करने मे काम आता है।
- इस प्रकार की तकनीक रेडियो इंटरफेश मे इस्तेमाल होती है। इसकी कोई सीमा नही होती है कि कितनी दूरी तक एक्सिस करेगा। बस इस प्रकार के नेटवर्क की एक समस्या होती है की इसमे पासवर्ड लगा होता है, जिसे हमेशा याद रखना जरूरी होता है।
- WMesh Network Area – Mesh Topology को WMesh Network भी कहा जाता है। इस प्रकार के नेटवर्क को रेडियो नोड्स द्वारा बनाया हुआ एक वायरलैस नेटवर्क होता है। इस प्रकार के नेटवर्क का इस्तेमाल एक नोड का दूसरे नोड को भेजने के लिए सहायक होता है।
- WMAN – इस प्रकार के नेटवर्क को एक प्रकार से पूरे शहर को जोड़ने वाला नेटवर्क कहा जाता है। यह नेटवर्क किसी एक शहर मे सभी आँफिस व स्कूल ओर काॅलेजो को एक दूसरे को नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने का कार्य करता है।
- अगर इस नेटवर्क का इस्तेमाल किसी एक कैम्पश मे हो रहा हो तो इसे कैम्पश नेटवर्क भी कहा जाता है। इस नेटवर्क के एरिया की क्षमता 10 किमी से 100 किमी मे अन्दर होती है।
- WWAN – इस नेटवर्क का पूरा नाम वाईड एरिया नेटवर्क कहा जाता है। इस प्रकार के नेटवर्क के जरिये एक बडे कम्पयूटर से कई अलग अलग छोटे – छोटे कम्प्यूटर को जोड कर रखता है।
- इस प्रकार के नेटवर्क की सबसे बडी ख़ासियत यह होती है की यह डाटा कम रैट करता है। इस नेटवर्क को वाइड एरिया नेटवर्क इसलिए भी कहा जाता है की यह अपने नेटवर्क से अधिक एरिया कवर करता है।
- GAN – GAN को हम Geographical Area Network भी कहते है। यह एक ऐसा Network है जो Wireless LAN, Satellite Coverage Area को भी Support करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक Large Geographical Area को Cover करता है।
- यह बहुत सारे Wide Area Network तथा और भी बहुत से दूसरे Networks से मिलकर बना होता है। इसका इस्तेमाल बड़े क्षेत्र में किया जाता है। यह किसी Network से Direct Connect नहीं होता है। इस लिए इसके कारें में लोगों को अधिक पता भी नही होता है कि एक GAN नाम का Network भी होता है।
- Space network – DSN ( Deep Space Network ) एक Communication Technology है, जिसका इस्तेमाल ISRO ( Indian Space Research Organization ) अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट से संपर्क साधने का काम करता है। इस नेटवर्क को स्थापित करने के लिए एक बहुत ही बड़े नेटवर्क एंटेना का इस्तेमाल किया गया है जो हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो सिग्नल भेजने में सक्षम है।
- ISRO के इस IDSN नेटवर्क का हब कर्नाटक की राजधानी बैंगलूरू के ब्यालालू में स्थापित है। इसे 17 अक्टूबर 2008 को स्थापित किया गया था। इस एंटेना को Haydrabad स्तिथ Electrohnic Corporation of India Ltd ( इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ) ने डिज़ाइन किया है।
- इस एंटेना को स्थापित करने में कुल 65 करोड़ रुपये का खर्च आया है। ISRO के इस IDSN नेटवर्क की तरह का ही नेटवर्क अमेरिका, चीन, रूस, यूरोप और जापान अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए करते हैं।
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निष्कर्ष ( Conclusion )
इस लेख के माध्यम से हमने आपको नेटवर्क ओर इसके प्रकार के बारे मे सभी प्रकार की जानकारी देने की कोशिश की है। इस लेख मे माध्यम से आपको WAP ( Wireless application protocol ) के बारे मे भी समझाया गया है, की यह कैसे काम करता है।
WAP का पूरा नाम Wireless application protocol है जो सामान्य भाषा मे Wifi के नाम से जाना जाता है। इस लेख को कम्पीटिशन परीक्षाओं को ध्यान मे रख कर बनाया गया है। उम्मीद करते है की आपको यह लेख पसंद आया होगा।
Wireless application protocol FAQ in Hindi
प्रश्न 1 – WAP ( Wireless application protocol ) क्या है ? ( What is WAP )
उत्तर – Wireless application protocol में केवल wifi internet ही नही इसके अलावा और भी कई सुविधाओं का इस्तेमाल आप कर सकते हैं। WAP एक प्रकार का डिवाइस होता है जो कि आपको सुविधा देता है बिना ज्यादा वायरिंग के कनेक्शन के। WAP में जिस डिवाइस का इस्तेमाल करते है उसे ROUTER के नाम से जानते हैं
प्रश्न 2 – WAP का पूरा नाम क्या है ? ( What is the full form of WAP )
उत्तर – WAP का पूरा नाम Wireless application protocol है जो सामान्य भाषा मे Wifi के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 3 – Network कितने प्रकार के होते है ? ( How many types of networks are there ?)
उत्तर – वैसे मो नेटवर्क कई प्रकार के हो सकते है परन्तु मुख्य रूप से हम 5 नेटवर्क को सामान्य कार्य मे उपयोग करते है जिसमे PAN, HAN, LAN, MAN, WAN शामिल है। इन सभी प्रकार के नेटवर्क का उपयोग हम अपने रोजाना के कार्यो मे करते है।
प्रश्न 4 – WAN ( Wireless application network ) की खोज कब की गई ?
उत्तर – Wireless application protocol की सवर्प्रथम खोज 1998 में Ericson, Motorola, Nokia द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिसका उद्देश्य था protocol के जरिये एक बेहतर wireless technology बनाना। WAP को 1998 में डिज़ाइन किया गया था परंतु इसको 2002 में अस्तित्व में लाया गया।
प्रश्न 5 – प्रोटोकॉल क्या होता है ?
उत्तर – Protocol एक तरह के “set of rules” ( सेट आँफ रूल ) है, जो digital communication में इस्तेमाल किये जाते है। Protocol के द्वारा ही यह तय होता है कि computer network पर data कैसे transmit ( स्थानांतरित ) होगा और कैसे receive (प्राप्त ) होगा। Computing में protocol को एक digital language भी कहा जाता है।
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